Friday, October 1, 2010

आपुन विनम्र है, बापू!?!!

तेरे मुस्कुराते फोटोवाले नोट को,
जनता अपना धर्म मानती है,
अहिंसाका मतलब आज,
शायदही कोई डिक्शनरी जानती है.


रिश्वत देनेवाला, साला
मस्त में आगे निकलता है,
सत्यका आग्रह करनेवाला,
फोकट बिचारा लटकता है.


देशकी दुर्गति कम होनेका,
चांस बिलकुल नही लगता है,
क्योंकि आम आदमी खुदको
कुछ ज्यादाही आम समझता है.


तेरे महान देश के सामने,
आपुन विनम्र है, बापू!?!!

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